itihaas kise kahate hain:और इतिहास के जनक कौन हैं?

इतिहास को समझें और जानें इतिहास के जनक के बारे में। itihaas kise kahate hain itihas ke janak kaun hai – इस प्रश्न का उत्तर पाएं और इतिहास की महत्वपूर्णता को समझें।

इतिहास किसे कहते हैं और इतिहास के जनक कौन हैं?

क्या आप जानते हैं कि इतिहास के जनक कौन हैं? एक प्रसिद्ध ग्रीक लेखक हेरोडोटस को ‘इतिहास के पिता’ कहा जाता है। उन्होंने एक नए क्षेत्र का आविष्कार किया, जिसे आज ‘इतिहास’ के नाम से जाना जाता है।

हेरोडोटस ने घटनाओं को व्यवस्थित ढंग से दर्ज करके इतिहास लिखने की शुरुआत की। उन्हें रोमन लेखक सिसरो ने ‘इतिहास के पिता’ कहा था। उनकी प्रसिद्ध कृति ‘द हिस्ट्रीज’ में उन्होंने उस दुनिया के बारे में लिखा जिसके बारे में वह जानते थे।

 

परंपरागत रूप से, इतिहास को महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों में देखा जाता है। ये महाकाव्य प्राचीन भारतीय इतिहास और सभ्यता को समझने में मदद करते हैं।

पुरातात्विक अवशेष और अनुमानित चित्रण भी इतिहास के महत्वपूर्ण स्रोत हैं। इतिहासकार इन पर व्यक्तिगत विश्लेषण करके प्राचीन भारतीय सभ्यता के बारे में जान सकते हैं।

इतिहास की परिभाषा और इसकी उत्पत्ति

इतिहास एक व्यापक विषय है। इसकी परिभाषा देना थोड़ा मुश्किल है। ग्रीक और लैटिन भाषाओं से इसका शब्द आया है, जिसका अर्थ है ‘जानना’। भारतीय परंपरा में ‘इतिहास’ का अर्थ है ‘ऐसा ही हुआ’।

इतिहास का अर्थ है प्रत्येक घटना या विचार का विस्तृत वर्णन।

बृहद् और व्यापक अर्थ में इतिहास का वर्णन

इतिहास में केवल मानव जीवन की घटनाएं ही वर्णित होती हैं। यह समूचे विश्व की सभी घटनाओं का वर्णन नहीं करता। इतिहास के शाब्दिक अर्थ इतिहास को समझने के लिए, यह वास्तविक घटनाओं का वर्णन है। यह मानव समाज के विकास और प्रभावों का अध्ययन करता है।

शाब्दिक अर्थ और इतिहास शब्द की व्युत्पत्ति

इतिहास की उत्पत्ति के बारे में विद्वानों का मानना है कि यह शब्द संस्कृत से आया है। इसका अर्थ है ‘ऐसा ही हुआ’। इसलिए, इतिहास मानव जीवन की वास्तविक घटनाओं का वर्णन है।

“इतिहास वास्तविक घटनाओं का वर्णन है, जो मानव समाज के विकास और उसके प्रभावों का अध्ययन करता है।” – डॉ. रामशरण शर्मा

बृहत् इतिहासकारों द्वारा दी गई इतिहास की परिभाषाएं

इतिहास की परिभाषा पर विभिन्न इतिहासकारों ने अपने विचार दिए हैं। डॉ. राधाकृष्णन ने इतिहास को ‘राष्ट्र की स्मृति-शक्ति’ बताया है। उन्होंने कहा कि जैसे व्यक्ति के लिए स्मृति महत्वपूर्ण है, राष्ट्र के लिए भी इतिहास महत्वपूर्ण है।

प्रो. घाटे ने इतिहास को ‘हमारे समूचे भूतकाल का वैज्ञानिक अध्ययन और हिसाब’ कहा है। उन्होंने इतिहास को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा है।

इतिहासकार इतिहास की परिभाषा
डॉ. राधाकृष्णन ‘राष्ट्र की स्मृति-शक्ति’
प्रो. घाटे ‘हमारे समूचे भूतकाल का वैज्ञानिक अध्ययन और हिसाब’

इन परिभाषाओं से पता चलता है कि इतिहास की परिभाषा और प्रमुख इतिहासकारों की परिभाषाएं जटिल हैं। इतिहास का अध्ययन राष्ट्र की स्मृति को बनाए रखने में मदद करता है। यह समय के साथ उसके विकास को समझने में भी महत्वपूर्ण है।

इतिहास के मुख्य परिभाषाएं

“इतिहास एक राष्ट्र की स्मृति-शक्ति है, जिसके बिना वह अपने अस्तित्व को कायम रखने में असमर्थ हो जाता है।” – डॉ. राधाकृष्णन

इतिहास के मूल स्रोत और अध्ययन का विकास

इतिहास की शुरुआत बहुत पुरानी है। हेरोडोटस को ‘इतिहास के पिता’ कहा जाता है। उन्होंने इतिहास को व्यवस्थित रूप से शुरू किया। इसके बाद, टाइसीडाइड्स ने ‘प्रबोधक इतिहास’ का निर्माण किया।

19वीं शताब्दी में, इतिहास को वैज्ञानिक विषय के रूप में स्वीकार किया गया।

इतिहास के विकास की विभिन्न अवस्थाएं

रैंके, निबुर और अन्य जर्मन इतिहासकारों ने वैज्ञानिक इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। आज, ऑगस्ट कामप्टे का प्रत्यक्षवाद इतिहास लेखन में प्रचलित है। इसमें वैज्ञानिक आधार पर इतिहास लिखा जाता है।

वैज्ञानिक इतिहास के उदय का कारण

इतिहास का अध्ययन करने के लिए प्राचीन स्रोतों का उपयोग किया जाता है। शिलालेख, लेखन साहित्य, पुरातात्विक खोजें, स्थापत्य और विदेशी यात्रियों के विवरणों का उपयोग किया जाता है।

इन स्रोतों से जानकारी से इतिहास के विकास और मानव सभ्यता के उत्थान का ज्ञान प्राप्त होता है।

“प्रत्येक युग, समाज या व्यक्ति इतिहास का दर्शन अपने प्रश्नों के दृष्टिबिंदु से करता रहता है।”

इतिहास के स्रोत

इतिहास किसे कहते हैं और इतिहास के जनक कौन हैं?

इतिहास का अर्थ है – किसी भी घटना या विचार का विकास। लेकिन जब ‘इतिहास’ शब्द का प्रयोग किया जाता है, तो यह मानव इतिहास को संदर्भित करता है। इतिहास में मानव समाज के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया जाता है।

हेरोडोटस को इतिहास के जनक माना जाता है। उन्होंने घटनाओं को व्यवस्थित ढंग से लिखकर इतिहास लेखन की शुरुआत की। हेरोडोटस लगभग 494 ईसा पूर्व में फारसी साम्राज्य में पैदा हुआ था। उन्हें “इतिहास का पिता” के रूप में जाना जाता है।

उनके काम को 5 वीं सदी ग्रीस और फारसी साम्राज्य की ऐतिहासिक जानकारी का महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता है। हेरोडोटस ने ग्रीको-फारसी युद्धों और फारसी आक्रमण की घटनाओं को विस्तार से रिकॉर्ड किया।

प्राचीन इतिहास में पुरातात्विक स्त्रोतों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसमें अभिलेख, सिक्के, स्मारक, भवन, मूर्तियां आदि शामिल हैं। इन स्रोतों से प्राचीन भारतीय इतिहास में राजाओं, धर्म, कला, संगीत के बारे में जानकारी मिलती है।

इतिहास के मुख्य स्रोत

इतिहास के महत्व और लाभ

इतिहास का अध्ययन भारतीय समाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह हमें मानव सभ्यता की कहानी सिखाता है। इतिहास हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत के बारे में जानकारी देता है और देशभक्ति का भाव जगाता है। इतिहास से सीखकर, हम भविष्य में बेहतर निर्णय ले सकते हैं।

इतिहास से क्या सीख मिलती है?

इतिहास के अध्ययन से हमें कई महत्वपूर्ण बातें सीखते हैं। यह हमें विभिन्न संस्कृतियों और सभ्यताओं की समझ देता है। इतिहास से हम राष्ट्रीय एकता और देशभक्ति का संदेश प्राप्त करते हैं।

“इतिहास हमारे गौरवशाली अतीत से जुड़ा होता है और हमें अपने भविष्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।”

इतिहास का अध्ययन हमें समकालीन समस्याओं को समझने में मदद करता है। यह हमारी सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करता है। इतिहास का ज्ञान हमें अतीत से सीखने और भविष्य में बेहतर निर्णय लेने का मार्गदर्शन प्रदान करता है।

इतिहास के महत्व

इतिहास लेखन की विधियां और चुनौतियां

इतिहास लेखन एक महत्वपूर्ण कार्य है। इतिहासकारों को अतीत की घटनाओं को सटीक ढंग से बताना होता है। उन्हें सटीक जानकारी इकट्ठा करनी होती है और उसे व्यवस्थित रूप से लिखना होता है।

उनको घटनाओं के कारणों और परिणामों का विश्लेषण करना होता है। इतिहास लेखन में विभिन्न स्रोतों का उपयोग किया जाता है। जैसे कि ग्रंथ, प्राचीन दस्तावेज और पुरातात्विक साक्ष्य।

इतिहास की व्याख्या विभिन्न स्कूलों के अनुसार होती है। जैसे कैम्ब्रिज स्कूल, राष्ट्रवादी स्कूल, मार्क्सवादी स्कूल और सुबालर्टन स्कूल। हिंदू राष्ट्रवादियों ने भी इतिहास की अपनी व्याख्या प्रस्तुत की है।

इतिहास लेखन में कई चुनौतियां हैं। भाषा, संस्कृति, क्षेत्रीयता और राजनीतिक पक्षपात इतिहास को प्रभावित करते हैं। हिंदी में गुणात्मक और अकादमिक ग्रंथों की कमी है।

पाठ्यपुस्तकें पुराने शोध पर आधारित हैं। शैक्षणिक संस्थान भी इतिहास से संबंधित समाज और राजनीति से कट नहीं पाते हैं। इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए हिंदी में आधुनिक और वस्तुनिष्ठ इतिहास लेखन को बढ़ावा देना आवश्यक है।

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